Authored by | Saif Raza Khan |
Affiliation | Scholar, Aligarh Muslim University Aligarh |
Article Info | Received: 29 October 18 Revised: 01 November 18 Accepted: 02 November 18 |
Edited by | Inam Ullah |
Keywords | विज्ञानं , आला हज़रत , अकादमी, बहुभाषीय |
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DOI | 10.7910/DVN/2Y6JMB |
Abstract
हिन्दी काव्य में रोहिल्खंड के कवियों विशेषकर सूफी संतो का अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। जिनमे एटा जिले के मारेहरा के युगपुरुशो विशेषकर सय्यद आले रसूल मरेहरवी के परिवार का विशेष योगदान रहा है और उन्ही के आशीर्वाद से उनके अध्यात्मिक दीपक अर्थात मौलाना अहमद रज़ा खान साहब को ये काव्य सृजन विरासत में प्राप्त हुआ है हिन्दी काव्य में आपकी दो रचनाये बहुत प्रसिद्ध हैं जिनका अध्यन इस शोध पत्र में किया गया है तथा साथ ही हिन्दी मुहावरों का भी प्रकाश आपकी रचनाओं से बिखरता हुआ दिखाई देता है आला हज़रत ने अपनी कवित्त–शक्ति और अपार ऊर्जा से हिंदी–काव्य और मुहावरों के भंडार भर दिए हैं। इनकी काव्य–प्रतिभा ने न केवल साहित्यकारों,समीक्षकों और पाठकों को आकर्षित हीं किया, बल्कि सर्जना और नवीन कल्पनाओं की प्रेरणा भी दी। परन्तु हिन्दी साहित्य में जानकारी के आभाव या संस्कृतिक द्वेष ने हमको अध्यन से रोक रखा है जिस के कारण हम सूफी विचारवादी संतो को और उनके द्वारा सृजन की रसमय काव्य स्मृति को समझने से दूर रहे अतः मुस्लिम लेखको के द्वारा इतिहास का पुनर्लेखन आवश्यक है।

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